संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी क्या है ? What is UPSC ? | Full Desciption In Hindi


संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी क्या है ?


संघ लोक सेवा आयोग (अंग्रेज़ी: Union Public Service Commission UPSC) -यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन), भारत के संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक निकाय है जो भारत सरकार के लोकसेवा के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का संचालन करती है। संविधान के अनुच्छेद 315-323 में एक संघीय लोक सेवा आयोग और राज्यों के लिए राज्य लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान है। 


Commission overview

Formed : October 1, 1926
Preceding agencies : Federal Public Service Commission Public Service Commission
Jurisdiction Republic of India
Headquarters:  Dholpur House, Shahjahan Road, New Delhi
Official Website : http://www.upsc.gov.in/


इतिहास


इसके संस्थापन का आरंभ उन दिनों हुआ जब १९१९ में तत्कालीन अंग्रेजी शासकों ने भारत के लियें स्वायत्त शासन की आवश्यकता स्वीकार की। ५ मार्च १९१९ के भारतीय वैधानिक सुधार विषयक प्रथम प्रेषणापत्र में कहा गया : 
अधिकतर राज्यों में, जहाँ स्वायत शासन की स्थापना हो चुकी हैं, इस बात की आवश्यकता अनुभूत की जाती हैं कि सार्वजनिक सेवाओं को राजनीतिक प्रभावों से सुरक्षित रखना चाहिए और उसके हेतु एक ऐसा स्थायी कार्यालय स्थापित किया गया है जो विविध सेवाओं का नियंत्रण करता है। हम लोग इस समय भारत में ऐसे सार्वजनिक सेवा आयोग की स्थापना के लिये उद्यत नहीं हैं, परंतु हम देख रहे हैं कि ये सेवाएँ, क्रम से, अधिकाधिक मंत्रियों के नियंत्रण में आती जाएँगी, जिसके कारण यह उचित है कि इस प्रकार की संस्था का आरंभ किया जाय।
१९१९ के भारतीय शासन विधान में इस भावना की व्यावहारिक अभिव्यक्ति मिलती है। उसमें एक सार्वजनिक सेवा आयोग की स्थापना का विधान था जिसकी सेवाओं के लिये पदाधिकारियों की भर्ती, भारत की सार्वजनिक सेवाओं का नियंत्रण तथा ऐसे अन्य कर्त्तव्य होंगे जिनका निर्देश सपरिषद भारत सचिव करेंगे। परंतु उस आयोग की स्थापना तत्काल नहीं हुई। १९२३ में, लॉर्ड ली के नेतृत्व में, एक रॉयल कमिशन नियुक्त हुआ, जिसको भारत उच्च सेवाओं के ऊपर विचार एवं विवरण प्रस्तुत करना था। उस कमिशन ने, अपने २७ मार्च १९२४ के विवरण में, तत्काल उस लोक सेवा आयोग की स्थापना की आवश्यकता पर विशेष बल दिया, जिसका १९१९ के विधान में संकेत किया गया था। उसका प्रस्ताव था कि उक्त आयोग के निम्नलिखित चार मुख्य कार्य होंगे: 
(१) सार्वजनिक सेवाओं के लिये कर्मचारियों की भर्ती।
(२) सेवाओं में प्रविष्ट होनेवाले व्यक्तियों की योग्यताओं का विधान तथा उचित मान स्थिर करना,
(३) सेवाओं के अधिकारों की सुरक्षा करना तथा नियंत्रण एवं अनुशासन की व्यवस्था करना, जो लगभग न्यायविधान की कोटि का कार्य है।
(४) सामान्य रूप से सेवा संबंधी समस्याओं पर परामर्श एवं अनुमति देना।
उस लोकसेवा आयोग की स्थापना १९२६ के अक्टूबर मास में हुई। एक नियमावली बनाई गई जिसमें इस बात का विधान था कि अखिल भारत की प्रथम और द्वितीय श्रेणियों की सेवाओं के, उन प्रतियोगिता परीक्षाओं के पाठ्यक्रमों के निर्धारण जिनके द्वारा कर्मचारियों का निर्वाचन हो, उक्त सेवाओं के लिये पदोन्नति, अनुशासनीय कार्य, वेतन, भत्ते, पेंशन, प्रॉविडेंट फंड एवं पारिवारिक पेंशन विषय आदि मामलों में सरकार उससे परामर्श ले। किसी मिसी वर्ग विशेष या सभी सेवाओं के नियमाधार तथा छुट्टी आदि के नियमों के प्रश्नों पर भी सरकार उक्त आयोग से परामर्श करेगी। 
उक्त नियमावली में आयोग के लिये जो नियम निर्दिष्ट किए गए थे उनका सुधार तथा स्थायीकरण उसे श्वेतपत्र के द्वारा हुआ जिसमें वैघानिक सुधारों के लिये ऐसे प्रस्ताव थे जिनके अनुसार प्रत्येक सूबे के लिये भी आयोगों की स्थापना करने का विधान था। उन सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं की वयवस्था करना जिनके द्वारा पदाधिकारियों का चुनाव हो, केंद्रीय तथा सूबे के आयोगों का कर्त्तव्य बतलाया गया। सरकार को आयोगों से इसका भी परामर्श करना था कि सेवाओं के लिये, किस प्रकार चुनाव के द्वारा नियुक्ति हो, पदोन्नति कैसे किए जाएँ, एक विभाग से दूसरे विभाग में स्थानांतरण कैसे किए जाएँ, आदि। 

उक्त श्वेतपत्र में यह प्रस्ताव भी किया गया था कि सरकार को आयोगों से भिन्न विषयों पर भी परामर्श लेना चाहिए: 
(क) अनुशासनीय कार्य,
(ख) यदि किसी पदाधिकारी के विरूद्व कोई अभियोग चलाया गया हो तो उसके रक्षाविषयक व्यय की सरकार द्वारा पूर्ति।
(ग) समय समय के अधिनियमों के अनुसार उठे हुए अन्य प्रश्न।
१९३५ के भारतीय विधान के परिच्छेद २६६ में, उपर्युक्त प्रस्तावों को स्थायी रूप दिया गया। उसमें लोक सेवा आयोगों के कर्त्तव्यों को स्पष्ट रूप से निर्धारित कर दिया गया। यह कहा जा सकता है कि उक्त विधान के द्वारा ही आयोगों की अंतिम एवं स्थायी रूप में रचना की गई थी। आज के केंद्रीय अथवा राज्यों के आयोग का संगठन, रूप एवं आधार, सब उसी पर अवलंबित हैं। 
स्वतंत्रता के बाद, संविधान सभा ने अनुभव किया कि सिविल सेवाओं में निष्पक्ष भर्ती सुनिश्चित करने के साथ ही सेवा हितों की रक्षा के लिए संघीय एवं प्रांतीय, दोनों स्तरों पर लोक सेवा आयोगों को एक सुदृढ़ और स्वायत्त स्थिति प्रदान करने की आवश्यकता महसूस की गई। 


सदस्य

आयोग के सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होते हैं। कम से कम आधे सदस्य किसी लोक सेवा के सदस्य (कार्यरत या अवकाशप्राप्त) होते हैं जो न्यूनतम 10 वर्षों के अनुभवप्राप्त हों। इनका कार्यकाल 6 वर्षों या 65 वर्ष की उम्र (जो भी पहले आए) तक का होता है। ये कभी भी अपना इस्तीफ़ा राष्ट्रपति को दे सकते हैं। इससे पहले राष्ट्रपति इन्हें पद की अवमानना या अवैध कार्यों में लिप्त होने के लिए बर्ख़ास्त कर सकता है। 


कार्य


इसका प्रमुख कार्य केन्द्र तथा राज्यों की लोकसेवा के लिए सदस्यों का चयन करना है। इसके लिए यह विभिन्न परीक्षाएं संचालित करती है। इनमें से प्रमुख हैं - 
सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा (मई में)
सिविल सेवा (प्रधान) परीक्षा (अक्टूबर/नवम्बर में)
भारतीय वन सेवा परीक्षा (जुलाई में)
इंजीनियरी सेवा परीक्षा (जुलाई में)
भू-विज्ञानी परीक्षा (दिसम्बर में)
स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिसेज़ परीक्षा (अगस्त में)
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा (अप्रैल और सितम्बर में)
सम्मिलित रक्षा सेवा परीक्षा (मई और अक्टूबर में)
सम्मिलित चिकित्सा सेवा परीक्षा (फरवरी में)
भारतीय अर्थ सेवा/भारतीय सांख्यिकी सेवा परीक्षा (सितम्बर में)
अनुभाग अधिकारी/आशुलिपिक (ग्रेड ख/ग्रेड 1) सीमित विभागीय प्रतियोगिता परीक्षा (दिसम्बर में)

इसके अतिरिक्त राज्य लोक सेवा के अधिकारियों को संघ लोक सेवा से अधिकारी के रूप में भर्ती करना, भर्ती के नियम बनाना, विभागीय पदोन्नति समितियों का आयोजन करना, भारत के राष्ट्रपति द्वारा निर्दिष्ट कोई अन्य मामला सुलझाना इत्यादि इसके प्रमुख कार्य हैं।


चयन परीक्षा के लिए अध्यन रणनीति

तैयारी के साथ शुरू होने से पहले, उसे अपनी क्षमता साबित करनी चाहिए और खुद से पूछना चाहिए कि वह आईएएस अधिकारी के रूप में क्या परिवर्तन ला सकता है। एक उम्मीदवार की योजना को स्मारक होने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उसे अन्य उम्मीदवारों से अलग करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए।ऐसे प्रश्नों के स्पष्ट जवाब साक्षात्कार सत्र में सभी अन्य आवेदकों पर एक उम्मीदवार को बढ़त देंगे। 
तैयारी तकनीक

यह एक अतिरंजित तथ्य नहीं है कि आईएएस देश की सबसे कठिन प्रतिस्पर्धी परीक्षा है और गहन अभ्यास और तैयारी के लिए कहता है। सबसे सामान्य प्रश्नों के बारे में कोई निश्चित जवाब नहीं है, जैसे कि हर दिन आईएएस उम्मीदवार को कितने घंटे लगाना पड़ता है? यह व्यक्ति से अलग होगा, इसलिए हम इसे एक सामान्य परिप्रेक्ष्य से देखें। 


समय की आवश्यकता: 


विशेषज्ञों का मानना ​​है कि 10 से 12 महीने के लिए आक्रामक तैयारी एक जरूरी है। प्रत्येक 10 भारतीयों में से चार (21-32 वर्ष) एक आईएएस अधिकारी बनने की इच्छा रखते हैं और प्रतिस्पर्धा इतनी तीव्र है कि उस विशाल संख्या का केवल 5 प्रतिशत ही हो जाता है। एक उम्मीदवार को एक प्रभावी रणनीति का मानचित्र बनाना चाहिए और उस रणनीति को लागू करने के लिए आवश्यक घंटों की आदर्श संख्या तय करना चाहिए। 
एक इच्छुक को यह भी समझना चाहिए कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी गुणात्मक और मात्रात्मक तैयारी के लिए नहीं है। यह आपके अल्पकालिक लक्ष्य को पूरा करने के बारे में है। आदर्श रूप से आपको हर दिन दो विषयों को लक्षित करना चाहिए। अधिकांश शीर्ष रैंकरों ने अपने स्कूल के दिनों से परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी है, क्योंकि ज्यादातर प्रश्न कक्षा 6 से 12 मानक किताबों से ज्यादातर पूछे जाते हैं।इसलिए परीक्षा तैयार करने से पहले 10 से 12 घंटे पहले नोट तैयार करना और समर्पित होना पर्याप्त माना जाता है। 
पाठ्यक्रम को रेखांकित करें और अपनी तैयारी तैयार करें 


यदि आपने जीवविज्ञान का अध्ययन किया है, तो आप निश्चित रूप से "संश्लेषण" शब्द से परिचित होंगे। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मूल घटक अपने उप-उत्पादों में विभाजित होते हैं। आप अपने आईएएस पाठ्यक्रम के साथ भी ऐसा ही कर सकते हैं। जिन विषयों पर आप अच्छे हैं और जिन विषयों की आपको आवश्यकता होगी उन्हें ढूंढें। सभी विषयों के लिए इसे करें और उन पर काम करें। 
पाठ्यक्रम को ऑब्जेक्ट करना 

अधिकांश आईएएस उम्मीदवारों को आईएएस पाठ्यक्रम के बड़े हिस्से को हतोत्साहित किया जाता है।इसमें कोई संदेह नहीं है कि पाठ्यक्रम विशाल है, लेकिन यदि आप विषयों को प्रबंधनीय हिस्सों में विभाजित करते हैं, तो असंभव दिखने वाले कार्य आपके लिए आसान हो जाएंगे। 
अपनी तैयारी का आनंद लें 

अनजाने में, यूपीएससी तैयारी एक लंबी प्रक्रिया है। लेकिन जिस क्षण आप अपनी तैयारी का आनंद लेना शुरू करते हैं, तैयारी से जुड़े सभी अनचाहे तनाव और चिंता गायब हो जाएंगी। सिविल सेवा परीक्षा उम्मीदवार अपने शौक छोड़ देते हैं, लेकिन आपके शौक का पीछा करते हुए आपकी तैयारी अधिक मजेदार होगी। 

Official Website : http://www.upsc.gov.in/

संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी क्या है ? What is UPSC ? | Full Desciption In Hindi संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी क्या है ? What is UPSC ? | Full Desciption In Hindi Reviewed by The IK Series on Tuesday, August 21, 2018 Rating: 5

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