वृक्षारोपण पर निबंध
Tree Plantation Essay in Hindi
आज हम आपको वृक्षारोपण के बारे में बताएंगे, इस निबंध के माध्यम से क्योंकि वृक्षारोपण हमारे जीवन में बहुत ही जरुरी है और हम सबको वृक्ष हर जगह लगाने चाहिए| स्कूलों मे भी बच्चों को वृक्ष लगाने को कहा जाता है तो चलिए वृक्षारोपण के बारे में इस निबंध के माध्यम से पढ़ते है|
Tree Plantation Essay in Hindi 100 Words
वृक्ष हमारे लिए कई प्रकार से लाभदायक होते हैं| जीवों द्वारा छोड़े गए कार्बन डाइ-ऑक्साइड को ये जीवनदायिनी ऑक्सीजन में बदल देते हैं| इनकी पत्तियों, छालों एवं जड़ों से हम विभिन्न प्रकार की औषधियां बनाते हैं| इनसे हमें रसदार एवं स्वादिष्ट फल प्राप्त होते हैं| वृक्ष हमें छाया प्रदान करते हैं| इनके छाया में पशु-पक्षी ही नहीं, मानव भी चैन की सांस लेते हैं| जहां वृक्ष पर्याप्त मात्रा में होते है, वहां वर्षा की मात्रा भी सही होती है| वृक्षों की कमी सूखे का कारण बनती है| वृक्षों से पर्यावरण की खूबसूरती में निखार आता है| वृक्षों से प्राप्त लकड़ियाँ भवन- निर्माण एवं फर्नीचर बनाने के काम आती है| इस तरह, मनुष्य जन्म लेने के बाद से मृत्यु तक वृक्षों एवं उनसे प्राप्त होने वाले विभिन्न प्रकार की वस्तुओं पर निर्भर रहता है| कवि रविंद्रनाथ टैगोर ने पेड़-पौधों के महत्व को समझते हुए कहां है की पृथ्वी द्वारा स्वर्ग से बोलने का अथक प्रयास है ये पेड़|
Tree Plantation Essay in Hindi 200 Words
वृक्षों से होने वाले इन्ही लाभों के कारण मनुष्य ने इनकी तेजी से कटाई की है| औद्योगिक प्रगति एवं वनोंमूलन इन दोनों के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो गया है| वृक्ष पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में सहायक होते हैं| मनुष्य अपने लाभ के लिए कारखानों की संख्या में वृद्धि करता रहा, किंतु उस वृद्धि के अनुपात में उसने पेड़ों को लगाने की ओर ध्यान ही नहीं दिया, इसके विपरीत उसने जमकर उनकी कटाई की|
वृक्षारोपण पर निबंध – Tree Plantation Essay in Hindi
इसके कुपरिणामस्वरुप पृथ्वी का पर्यावरण असंतुलित हो गया है| वृक्षारोपण पर्यावरण को संतुलित कर मानव के अस्तित्व की रक्षा करने के लिए आवश्यक है| एक मेज, एक कुर्सी, एक कटोरा फल और एक वायलन; भला खुश रहने के लिए और क्या चाहिए| विश्व के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपने इस विचार को जिन महत्वपूर्ण चीजों से जोड़ा, उनमें से प्रत्येक चीज का पेड़ पौधों से संबंध होना इनकी उपयोगिता को दर्शाता है| अत: हमें अपने और पर्यावरण के हितेषी पेड़-पौधों के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए| उन्मूलन के कारण पिछले कुछ वर्षों में जलवायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गई है| सामान्य मौसमी अभिवृत्तियों में किसी खास स्थान पर होने वाले विशिष्ट परिवर्तन को जलवायु परिवर्तन कहा जाता है| मौसम में अचानक परिवर्तन, फ़सल-चक्र का परिवर्तित होना, वनस्पतियों की प्रजातियों का लुप्त होना, तापमान में वृद्धि, हिमनदों का पिघलना तथा समुद्री जलस्तर में लगातार वृद्धि ऐसे सूचक है, जिनसे जलवायु परिवर्तन की परिघटना का पता चलता है|
Tree Plantation Essay in Hindi 300 Words
जलवायु कई कारणों से हुआ है, किंतु वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा के निरंतर बढ़ते रहने को सबसे बड़ा कारण माना जाता है| पृथ्वी पर आने वाली और सौर ऊर्जा की बड़ी मात्रा अवरक्त किरणों के रूप में पृथ्वी के वातावरण से बाहर चली जाती है| इस ऊर्जा की कुछ मात्रा ग्रीन हाउस गैसों द्वारा अवशोषित होकर पुन: पृथ्वी पर पहुंच जाती है, जिससे तापक्रम अनुकूल बना रहता है| ग्रीन हाउस गैसों में मीथेन, कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड इत्यादि है| वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों का अच्छा होना है, किंतु जब इनकी मात्रा बढ़ जाती है, तो तापमान में वृद्धि होने लगती है| वृक्षारोपण के माध्यम से इस समस्या का काफी हद तक समाधान किया जा सकता है|
मनुष्य अपने विकास के लिए पेड़ों की कटाई एवं पर्यावरण का दोहन करता है| विकास एवं पर्यावरण एक-दूसरे के विरोधी नहीं है, अपितु एक-दूसरे के पूरक है| संतुलित एवं शुद्ध पर्यावरण के बिना मानव का जीवन कष्टमय हो जाएगा| हमारा अस्तित्व एवं जीवन की गुणवत्ता एक स्वास्थ्य प्राकृतिक पर्यावरण पर निर्भर है| विकास हमारे लिए आवश्यक है और इसके लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग आवश्यक है, किंतु ऐसा करते समय हमें सतत विकास की अवधारणा को अपनाने पर जोर देना चाहिए| सतत विकास एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखा जा सकता है कि भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं में भी कटौती न हो| यही कारण है कि सतत विकास अपने शाब्दिक अर्थ के अनुरूप निरंतर चलता रहता है| सतत विकास में सामाजिक एवं आर्थिक
विकास के साथ-साथ इस बात का ध्यान रखा जा सकता है कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहें| सतत विकास में आर्थिक समानता, लैंगिक समानता एवं सामाजिक समानता के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन भी निहित है|
Tree Plantation Essay in Hindi 400 Words
वर्ष 2030 तक विश्व की जनसंख्या के 8.3 अरब से अधिक हो जाने का अनुमान है, जिसके कारण उस समय भोजन एवं ऊर्जा की मांग 50% अधिक तथा स्वच्छ जल की मांग 30% अधिक हो जाएगी| भोजन, ऊर्जा एवं जल की इस बढ़ी हुई मांग के फलस्वरुप उत्पन्न संकट के दुष्परिणाम भी भयंकर हो सकते हैं|
विश्व मे आई औद्योगिक क्रांति के बाद से ही प्राकृतिक संसाधनों का दोहन शुरू हो गया था, जो 19वीं एवं 20वीं शताब्दी में अपनी चरम सीमा को पार कर गया, कुपरिणामस्वरुप विश्व की जलवायु पर इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा एवं प्रदूषण का स्तर इतना अधिक बढ़ गया की यह अनेक जानलेवा बीमारियों का कारक बन गया| इसलिए 20वीं शताब्दी में सयुंक्त राष्ट्र एवं अन्य वैश्विक संगठनों ने पर्यावरण की सुरक्षा की बात करनी शुरु की| पर्यावरण सुरक्षा के लिए वैश्विक संगठन द्वारा किए गए हर प्रयास में वृक्षारोपण पर विशेष जोर दिया जाता है| भारत सरकार भी विभिन्न राज्यों में वृक्षारोपण के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं पर कार्य कर रही है, इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के गैर सरकारी संगठन में वृक्षारोपण का कार्य करते हैं|
वृक्षारोपण के कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने के लिए लोगों को वृक्षों से होने वाले लाभ से अवगत कराकर पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना होगा| कुछ संस्थाएं तो वृक्षों को गोद लेने की परंपरा भी कायम कर रही है| शिक्षा के पाठ्यक्रम में वृक्षारोपण को भी प्राप्त स्थान देना होगा| पेड़ लगाने वाले लोगों को प्रोत्साहित करना होगा| यदि हम चाहते हैं कि प्रदूषण कम हो एवं हम पर्यावरण की सुरक्षा के साथ सामंजस्य रखते हुए संतुलित विकास की ओर अग्रसर हो, तो इसके लिए हमें अनिवार्य रूप से वृक्षारोपण का सहारा लेना होगा| आज हम सब एके जॉन्स की तरह वृक्षारोपण का संकल्प लेने की आवश्यकता है जो कहते थे “मैं एक पेड़ लगा रहा हूं, जो मुझे अपनी गहरी जड़ों से सामर्थ्य एकत्र करने की शिक्षा देता है”|
वृक्षारोपण की आवश्यकता निम्नलिखित बातों से भी स्पष्ट हो जाती है:-
उद्योगीकरण के कारण वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि हुई, फलस्वरूप विश्व की जलवायु में प्रतिकूल परिवर्तन हुआ| साथ ही समुद्र का जलस्तर उठ जाने के कारण आने वाले वर्षों में कई देशों एवं शहरों के समुद्र में जलमगन हो जाने की आशंका है|
जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में निरंतर वृद्धि हो रही है| यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो परिणाम अत्यंत भयानक होंगे|
एनवायर्नमेंटल डाटा (Environmental Data) सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, नागरिक एवं राष्ट्र की सुरक्षा, भोजन, ऊर्जा, पानी एवं जलवायु इन चार स्तंभों पर निर्भर है| ये चारों एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित है और ये सभी खतरों की सीमा को पार करने की कगार पर है|
अपने आर्थिक या सामाजिक विकास के लिए मानव विश्व के संसाधनों का इतनी तीव्रता से दोहन कर रहा है कि पृथ्वी की जीवन को पोषित करने की क्षमता तेजी से कम होती जा रही है|
यदि मैं जान जाऊं कि कल इस संसार का अंत हो जाएगा, तब भी मैं अपना सेब का पेड़ अवश्य लगाऊंगा किंग मार्टिन लूथर की गई यह बात न सिर्फ़ वृक्षों की उपयोगिता का बयान करती है, बल्कि पेड़-पौधों से उनके हार्दिक प्रेम को भी प्रदर्शित करती है| निसंदेह पेड़ पौधों के महत्व को कभी भी कम नहीं आंका जा सकता है, क्योंकि ये हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है| तभी तो हमारे देश में पेड़ पौधों की भी पूजा की जाती है, संत कबीर ने इनके महत्व को इस प्रकार व्यक्त किया “वृक्ष कबहुं नहीं फल भखे, नदी न संचे नीर, परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर| पर्यावरणविद एवं वैज्ञानिक आजकल वृक्षारोपण पर अत्यधिक जोर दे रहे हैं| उनका कहना है कि पर्यावरण संतुलन एवं मानव की वास्तविक प्रगति के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है|
Tree Plantation Essay in Hindi
आज हम आपको वृक्षारोपण के बारे में बताएंगे, इस निबंध के माध्यम से क्योंकि वृक्षारोपण हमारे जीवन में बहुत ही जरुरी है और हम सबको वृक्ष हर जगह लगाने चाहिए| स्कूलों मे भी बच्चों को वृक्ष लगाने को कहा जाता है तो चलिए वृक्षारोपण के बारे में इस निबंध के माध्यम से पढ़ते है|
Tree Plantation Essay in Hindi 100 Words
वृक्ष हमारे लिए कई प्रकार से लाभदायक होते हैं| जीवों द्वारा छोड़े गए कार्बन डाइ-ऑक्साइड को ये जीवनदायिनी ऑक्सीजन में बदल देते हैं| इनकी पत्तियों, छालों एवं जड़ों से हम विभिन्न प्रकार की औषधियां बनाते हैं| इनसे हमें रसदार एवं स्वादिष्ट फल प्राप्त होते हैं| वृक्ष हमें छाया प्रदान करते हैं| इनके छाया में पशु-पक्षी ही नहीं, मानव भी चैन की सांस लेते हैं| जहां वृक्ष पर्याप्त मात्रा में होते है, वहां वर्षा की मात्रा भी सही होती है| वृक्षों की कमी सूखे का कारण बनती है| वृक्षों से पर्यावरण की खूबसूरती में निखार आता है| वृक्षों से प्राप्त लकड़ियाँ भवन- निर्माण एवं फर्नीचर बनाने के काम आती है| इस तरह, मनुष्य जन्म लेने के बाद से मृत्यु तक वृक्षों एवं उनसे प्राप्त होने वाले विभिन्न प्रकार की वस्तुओं पर निर्भर रहता है| कवि रविंद्रनाथ टैगोर ने पेड़-पौधों के महत्व को समझते हुए कहां है की पृथ्वी द्वारा स्वर्ग से बोलने का अथक प्रयास है ये पेड़|
Tree Plantation Essay in Hindi 200 Words
वृक्षों से होने वाले इन्ही लाभों के कारण मनुष्य ने इनकी तेजी से कटाई की है| औद्योगिक प्रगति एवं वनोंमूलन इन दोनों के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो गया है| वृक्ष पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में सहायक होते हैं| मनुष्य अपने लाभ के लिए कारखानों की संख्या में वृद्धि करता रहा, किंतु उस वृद्धि के अनुपात में उसने पेड़ों को लगाने की ओर ध्यान ही नहीं दिया, इसके विपरीत उसने जमकर उनकी कटाई की|
वृक्षारोपण पर निबंध – Tree Plantation Essay in Hindi
इसके कुपरिणामस्वरुप पृथ्वी का पर्यावरण असंतुलित हो गया है| वृक्षारोपण पर्यावरण को संतुलित कर मानव के अस्तित्व की रक्षा करने के लिए आवश्यक है| एक मेज, एक कुर्सी, एक कटोरा फल और एक वायलन; भला खुश रहने के लिए और क्या चाहिए| विश्व के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपने इस विचार को जिन महत्वपूर्ण चीजों से जोड़ा, उनमें से प्रत्येक चीज का पेड़ पौधों से संबंध होना इनकी उपयोगिता को दर्शाता है| अत: हमें अपने और पर्यावरण के हितेषी पेड़-पौधों के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए| उन्मूलन के कारण पिछले कुछ वर्षों में जलवायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गई है| सामान्य मौसमी अभिवृत्तियों में किसी खास स्थान पर होने वाले विशिष्ट परिवर्तन को जलवायु परिवर्तन कहा जाता है| मौसम में अचानक परिवर्तन, फ़सल-चक्र का परिवर्तित होना, वनस्पतियों की प्रजातियों का लुप्त होना, तापमान में वृद्धि, हिमनदों का पिघलना तथा समुद्री जलस्तर में लगातार वृद्धि ऐसे सूचक है, जिनसे जलवायु परिवर्तन की परिघटना का पता चलता है|
Tree Plantation Essay in Hindi 300 Words
जलवायु कई कारणों से हुआ है, किंतु वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा के निरंतर बढ़ते रहने को सबसे बड़ा कारण माना जाता है| पृथ्वी पर आने वाली और सौर ऊर्जा की बड़ी मात्रा अवरक्त किरणों के रूप में पृथ्वी के वातावरण से बाहर चली जाती है| इस ऊर्जा की कुछ मात्रा ग्रीन हाउस गैसों द्वारा अवशोषित होकर पुन: पृथ्वी पर पहुंच जाती है, जिससे तापक्रम अनुकूल बना रहता है| ग्रीन हाउस गैसों में मीथेन, कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड इत्यादि है| वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों का अच्छा होना है, किंतु जब इनकी मात्रा बढ़ जाती है, तो तापमान में वृद्धि होने लगती है| वृक्षारोपण के माध्यम से इस समस्या का काफी हद तक समाधान किया जा सकता है|
मनुष्य अपने विकास के लिए पेड़ों की कटाई एवं पर्यावरण का दोहन करता है| विकास एवं पर्यावरण एक-दूसरे के विरोधी नहीं है, अपितु एक-दूसरे के पूरक है| संतुलित एवं शुद्ध पर्यावरण के बिना मानव का जीवन कष्टमय हो जाएगा| हमारा अस्तित्व एवं जीवन की गुणवत्ता एक स्वास्थ्य प्राकृतिक पर्यावरण पर निर्भर है| विकास हमारे लिए आवश्यक है और इसके लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग आवश्यक है, किंतु ऐसा करते समय हमें सतत विकास की अवधारणा को अपनाने पर जोर देना चाहिए| सतत विकास एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखा जा सकता है कि भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं में भी कटौती न हो| यही कारण है कि सतत विकास अपने शाब्दिक अर्थ के अनुरूप निरंतर चलता रहता है| सतत विकास में सामाजिक एवं आर्थिक
विकास के साथ-साथ इस बात का ध्यान रखा जा सकता है कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहें| सतत विकास में आर्थिक समानता, लैंगिक समानता एवं सामाजिक समानता के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन भी निहित है|
Tree Plantation Essay in Hindi 400 Words
वर्ष 2030 तक विश्व की जनसंख्या के 8.3 अरब से अधिक हो जाने का अनुमान है, जिसके कारण उस समय भोजन एवं ऊर्जा की मांग 50% अधिक तथा स्वच्छ जल की मांग 30% अधिक हो जाएगी| भोजन, ऊर्जा एवं जल की इस बढ़ी हुई मांग के फलस्वरुप उत्पन्न संकट के दुष्परिणाम भी भयंकर हो सकते हैं|
विश्व मे आई औद्योगिक क्रांति के बाद से ही प्राकृतिक संसाधनों का दोहन शुरू हो गया था, जो 19वीं एवं 20वीं शताब्दी में अपनी चरम सीमा को पार कर गया, कुपरिणामस्वरुप विश्व की जलवायु पर इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा एवं प्रदूषण का स्तर इतना अधिक बढ़ गया की यह अनेक जानलेवा बीमारियों का कारक बन गया| इसलिए 20वीं शताब्दी में सयुंक्त राष्ट्र एवं अन्य वैश्विक संगठनों ने पर्यावरण की सुरक्षा की बात करनी शुरु की| पर्यावरण सुरक्षा के लिए वैश्विक संगठन द्वारा किए गए हर प्रयास में वृक्षारोपण पर विशेष जोर दिया जाता है| भारत सरकार भी विभिन्न राज्यों में वृक्षारोपण के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं पर कार्य कर रही है, इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के गैर सरकारी संगठन में वृक्षारोपण का कार्य करते हैं|
वृक्षारोपण के कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने के लिए लोगों को वृक्षों से होने वाले लाभ से अवगत कराकर पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना होगा| कुछ संस्थाएं तो वृक्षों को गोद लेने की परंपरा भी कायम कर रही है| शिक्षा के पाठ्यक्रम में वृक्षारोपण को भी प्राप्त स्थान देना होगा| पेड़ लगाने वाले लोगों को प्रोत्साहित करना होगा| यदि हम चाहते हैं कि प्रदूषण कम हो एवं हम पर्यावरण की सुरक्षा के साथ सामंजस्य रखते हुए संतुलित विकास की ओर अग्रसर हो, तो इसके लिए हमें अनिवार्य रूप से वृक्षारोपण का सहारा लेना होगा| आज हम सब एके जॉन्स की तरह वृक्षारोपण का संकल्प लेने की आवश्यकता है जो कहते थे “मैं एक पेड़ लगा रहा हूं, जो मुझे अपनी गहरी जड़ों से सामर्थ्य एकत्र करने की शिक्षा देता है”|
वृक्षारोपण की आवश्यकता निम्नलिखित बातों से भी स्पष्ट हो जाती है:-
उद्योगीकरण के कारण वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि हुई, फलस्वरूप विश्व की जलवायु में प्रतिकूल परिवर्तन हुआ| साथ ही समुद्र का जलस्तर उठ जाने के कारण आने वाले वर्षों में कई देशों एवं शहरों के समुद्र में जलमगन हो जाने की आशंका है|
जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में निरंतर वृद्धि हो रही है| यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो परिणाम अत्यंत भयानक होंगे|
एनवायर्नमेंटल डाटा (Environmental Data) सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, नागरिक एवं राष्ट्र की सुरक्षा, भोजन, ऊर्जा, पानी एवं जलवायु इन चार स्तंभों पर निर्भर है| ये चारों एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित है और ये सभी खतरों की सीमा को पार करने की कगार पर है|
अपने आर्थिक या सामाजिक विकास के लिए मानव विश्व के संसाधनों का इतनी तीव्रता से दोहन कर रहा है कि पृथ्वी की जीवन को पोषित करने की क्षमता तेजी से कम होती जा रही है|
यदि मैं जान जाऊं कि कल इस संसार का अंत हो जाएगा, तब भी मैं अपना सेब का पेड़ अवश्य लगाऊंगा किंग मार्टिन लूथर की गई यह बात न सिर्फ़ वृक्षों की उपयोगिता का बयान करती है, बल्कि पेड़-पौधों से उनके हार्दिक प्रेम को भी प्रदर्शित करती है| निसंदेह पेड़ पौधों के महत्व को कभी भी कम नहीं आंका जा सकता है, क्योंकि ये हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है| तभी तो हमारे देश में पेड़ पौधों की भी पूजा की जाती है, संत कबीर ने इनके महत्व को इस प्रकार व्यक्त किया “वृक्ष कबहुं नहीं फल भखे, नदी न संचे नीर, परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर| पर्यावरणविद एवं वैज्ञानिक आजकल वृक्षारोपण पर अत्यधिक जोर दे रहे हैं| उनका कहना है कि पर्यावरण संतुलन एवं मानव की वास्तविक प्रगति के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है|
Tree Plantation Essay In Hindi | वृक्षारोपण पर निबंध | IK Studies Series
Reviewed by The IK Series
on
Thursday, September 13, 2018
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Thanks for this awesome great source of knowledge.
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