Essay on Hindi Language in Hindi | राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध | IK Studies Series

Essay on Hindi Language in Hindi | राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध | IK Studies Series
राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध

Essay on Hindi Language in Hindi
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर हम भारत को राष्ट्र बनाना चाहते हैं, तो हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा हो सकती है | किसी भी राष्ट्र की सर्वाधिक प्रचलित एवं स्वेच्छा से आत्मसात की कई भाषा को राष्ट्रभाषा कहा जाता है| हिंदी, बंगला, उर्दू, पंजाबी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, इत्यादि भारत के संविधान द्वारा राष्ट्र की मान्यभाषाएँ है| इन सभी भाषाओं में हिंदी का स्थान सर्वोपरि है, क्योंकि यह भारत की राजभाषा भी है| राजभाषा वह भाषाहोती है, जिसका प्रयोग किसी देश में राज-काज को चलाने के लिए किया जाता है| हिंदी को 14 सितंबर, 1949 को राजभाषा का दर्जा दिया गया है| इसके बावजूद सरकारी काम-काज में अब तक अंग्रेजी का व्यापक प्रयोग किया जाता है| हिंदी संवैधानिक रूप से भारत की राजभाषा तो है, किन्तु इसे यह सम्मान सिर्फ़ सैद्धांतिक रुप में प्राप्त है,वास्तविक रूप में राजभाषा का सम्मान प्राप्त करने के लिए इसे अंग्रेजी से संघर्ष करना पड़  रहा है|

Essay on Hindi Language in Hindi 200 Words

वॉल्टर केनिंग ने कहा था विदेशी भाषा का किसी भी स्वतन्त्र राष्ट्र की राज-काज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दास्ता है| एक विदेशी भाषा होने के बावजूद अंग्रेजी में राज-काज को विशेष महत्व दिए जाने और राजभाषा के रूपमें अपने सम्मान प्राप्त करने हेतु हिंदी के संघर्ष के कारण जानने के लिए सबसे पहले हमें हिंदी की संवैधानिक स्थिति को जानना होगा| संविधान के अनुच्छेद 343 के खंड-1 में कहा गया है कि भारत संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी| संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयुक्त होने वाले अंको का रूप, भारतीय अंको का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा| खंड-2 में यह उपबन्ध किया गया था कि संविधान के प्रारंभ से 15 वर्ष की अवधि तक अर्थात 26 जनवरी,1965 तक संघ के सभी सरकारी प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग होता रहेगा जैसे कि पूर्व में होता था| वर्ष 1965 तक राजकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी के प्रयोग का प्रावधान किए जाने का कारण यह था कि भारत वर्ष 1947 सेपहले अंग्रेजों के अधीन रहा था और तत्कालीन ब्रिटिश शासन में यहाँ इसी भाषा का प्रयोग राजकीय प्रयोजनों के लिए होता था|


राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध – Essay on Hindi Language in Hindi

Essay on Hindi Language in Hindi 300 Words

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अचानक राजकीय प्रयोजनों के लिए हिंदी का प्रयोग कर पाना व्यवहारिक रुप से संभव नहीं था, इसलिए वर्ष 1950 में संविधान के लागू होने के बाद से अंग्रेजी के प्रयोग के लिए 15 वर्षों का समय दिया गयाऔर यह तय किया गया कि इन 15 वर्षों में हिंदी का विकास कर इसे राजकीय प्रयोजनों के उपयुक्त कर दिया जाएगा, किंतु यह 15 वर्ष पूरे होने के पहले ही हिंदी को राजभाषा बनाए जाने का दक्षिण भारत के कुछ स्वार्थी राजनीतिज्ञों ने व्यापक विरोध करना प्रारंभ कर दिया| देश की सर्वमान्य भाषा हिंदी को क्षेत्रीय लाभ उठाने के ध्येय से विवादों में घसीट लेने को किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता|

भारत में अनेक भाषा-भाषी लोग रहते हैं| भाषाओं की बहुलता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि भारत के संविधान में ही 22 भाषाओं को मान्यता प्राप्त| हिंदी, भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है और बांग्ला भाषा दूसरे स्थान पर विराजमान है| इसी तरह पहाड़ी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम, मराठी, इत्यादि भाषाएँ बोलने वालों की संख्या भी काफी है| भाषाओं की बहुलता के कारण भाषायी वर्चस्व की राजनीति ने भाषावाद का रूपधारण कर लिया है| इसी भाषावाद की लड़ाई में हिंदी को नुकसान उठाना पड़ रहा है और स्वार्थी राजनीतिज्ञ इसको इसका वास्तविक सम्मान दिए जाने का विरोध करते रहे हैं|
Essay on Hindi Language in Hindi 400 Words

देश की अन्य भाषाओं के बदले हिंदी को राजभाषा बनाए जाने का मुख्य कारण यह है कि यह भारत में सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा के साथ-साथ देश की एकमात्र संपर्क भाषा भी है| ब्रिटिश काल में पूरे देश में राजकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग होता था| पूरे देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती थी, किंतु स्वतन्त्रता आंदोलन के समय राजनेताओं ने यह महसूस किया है, जो दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर पूरे देश की संपर्क भाषा है और देश के विभिन्न भाषा-भाषी भी आपस में विचार विनिमय करने के लिए हिंदी कासहारा लेते है| हिंदी की इसी सार्वभौमिकता के कारण राजनेताओं ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने का निर्णय लिया था|

हिंदी, राष्ट्र के बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है, इसकी लिपि देवनागरी है, जो अत्यंत सरल है| पंडित राहुल सांकृत्यायन के शब्दों में “हमारी नागरी लिपि दुनिया की सबसे वैज्ञानिक लिपि है|” हिंदी में आवश्यकतानुसार देशी-विदेशी भाषाओं के शब्दों को सरलता से आत्मसात करने की शक्ति है| यह भारत की एक ऐसी राष्ट्रभाषा है, जिसमें पूरे देश में भावात्मक एकता स्थापित करने की पूर्ण क्षमता है|

आजकल पूरे भारत में सामान्य बोलचाल की भाषा के रूप में हिंदी और अंग्रेजी के मिश्रित रूप हिंगलिश का प्रयोग बढ़ा है, इसके कई कारण है| पिछले कुछ वर्षों में भारत में व्यवसायिक शिक्षा में प्रगति आई है| अधिकतम व्यावसायिक पाठ्यक्रम अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है और विधार्थियों के अध्ययन का माध्यम अंग्रेजी भाषा ही है| इस कारण से विद्यार्थी हिंदी में पूर्ण पूर्णत: नहीं हो पाते हैं| अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त युवा हिंदी में बात करते समय अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग करने को बाध्य होते है, क्योंकि हिंदी भारत में आम जन की भाषा है| इसके अतिरिक्तआजकल समाचार-पत्रों एवं टेलीविजन के कार्यक्रमों में भी ऐसी ही मिश्रित भाषा का प्रयोग में लाई जा रही है, इन सब का प्रभाव आम आदमी पर पड़ता है|

Essay on Hindi Language in Hindi 500 Words
भले ही हिंगलिश के बहाने हिंदी बोलने वालों की संख्या बढ़ रही है, किंतु हिंगलिश का बढ़ता प्रचलन हिंदी भाषा की गरिमा के दृष्टिकोण से गंभीर चिंता का विषय है| कुछ वैज्ञानिक शब्दों: जैसे मोबाइल. कंप्यूटर, साइकिल,टेलीविजन एवं अन्य शब्दों: जैसे स्कूल, कॉलेज, स्टेशन इत्यादि तक तो ठीक है, किंतु अंग्रेजी के अत्यधिक एवं अनावश्यक शब्दों का हिंदी में प्रयोग सही नहीं है|हिंदी, व्याकरण के दृष्टिकोण से एक समृद्ध भाषा है| यदि इसके पास शब्दों का आभाव होता है, तब तो इसकी स्वीकृति दी जा सकती है| शब्दों का भंडार होते हुए भी यदि इस तरहकी मिश्रित भाषा का प्रयोग किया जाता है, तो यह निश्चय ही भाषायी  गरिमा के दृष्टिकोण से एक बुरी बात है| भाषासंस्कृति के संरक्षक एवं वाहक होती है| राष्ट्रभाषा की गरिमा नष्ट होने से उस स्थान की सभ्यता और संस्कृति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है| हमारे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का कहना है “वर्तमान समय में विज्ञान के मूलकार्य अंग्रेजी में होते, इसलिए आज अंग्रेजी आवश्यक है, किंतु मुझे विश्वास है कि अगले दो दशको में विज्ञान के मूलकार्य हमारी भाषाओं में होने शुरू हो जाएंगे और तब हम जापानियों की तरह आगे बढ़ सकेंगे|”

हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के संदर्भ में गुरुदेव रविंदनाथ टैगोर ने कहा था “भारत की सारी प्रांतीय बोलियाँ, जिनमें सुंदर साहित्यों की रचना हुई है, अपने घर या प्रांत में रानी बनकर रहे, प्रांत के जन-गण के हार्दिक चिंतन की प्रकाशभूमि स्वरूप कविता की भाषा हो कर रहे और आधुनिक भाषाओं के हार की मध्य-मणि हिंदी भारत-भारती होकर विराजती रहे|” प्रत्येक देश की पहचान का एक मजबूत आधार उसकी अपनी भाषा होती है, जो अधिक से अधिकव्यक्तियों के द्वारा बोली जाने वाली भाषा के रूप में व्यापक विचार विनिमय का माध्यम बनकर ही राष्ट्रभाषा (यहाँ राष्ट्रभाषा का तात्पर्य है – पूरे देश की भाषा) का पद ग्रहण करती है| राष्ट्रभाषा के द्वारा आपस में संपर्क बनाए रखकरदेश की एकता और अखंडता को भी कायम रखा जा सकता है|

हिंदी देश की संपर्क भाषा तो है ही, इसे राजभाषा का वास्तविक सम्मान भी दिया जाना चाहिए, जिससे कि यह पूरेदेश को एकता के सूत्र में बांधने वाली भाषा बन सके| देश रतन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की गई है वह आज भी प्रासंगि कहै “जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता | अत: आज देश केसभी नागरिकों को यह संकल्प लेने की आवश्यकता है कि वह हिंदी को स्नेह अपनाकर और सभी कार्य क्षेत्रों में इसका अधिक से अधिक प्रयोग कर इसे व्यवहारिक रुप से राजभाषा एवं राष्ट्रभाषा बनने का गौरव प्रदान करेंगे|”

Essay on Hindi Language in Hindi | राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध | IK Studies Series Essay on Hindi Language in Hindi | राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध | IK Studies Series Reviewed by The IK Series on Sunday, September 09, 2018 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.