Importance of Tree Plantation in Hindi, Essay on Afforestation in Hindi | वृक्षारोपण पर निबंध, वृक्षारोपण के महत्व पर निबंध,

Importance of Tree Plantation in Hindi, Essay on Afforestation in Hindi | वृक्षारोपण पर निबंध, वृक्षारोपण के महत्व पर निबंध,

 वृक्षारोपण पर निबंध, वृक्षारोपण के महत्व पर निबंध,
 Importance of Tree Plantation in Hindi, 
Essay on Afforestation in Hindi 
वृक्षारोपण पर निबंध 400 शब्दों में। 

वृक्षारोपण का शाब्दिक अर्थ है। वृक्ष लगाकर उन्हें उगाना इसका प्रयोजन करना है। प्रकृति के संतुलन को बनाए रखना। मानव के जीवन को सुखी, सम्रद्ध व संतुलित बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण का अपना विशेष महत्व है। मानव सभ्यता का उदय तथा इसका आरंभिक आश्रय भी प्रकृति अर्थात वन व्रक्ष ही रहे हैं। मानव को प्रारम्भ से प्रकृति द्वारा जो कुछ प्राप्त होता रहा है। उसे निरन्तर प्राप्त करते रहने के लिए वृक्षारोपण अती आवश्यक है। मानव सभ्यता के उदय के आरंभिक समय में वह वनों में वृक्षों पर या उनसे ढकी कन्दराओं में ही रहा करता था। वह (मानव) वृक्षों से प्राप्त फल-फूल आदि खाकर या उसकी डालियों को हथियार के रूप में प्रयोग करके पशुओं को मारकर अपना पेट भरा करता था। 

वृक्षों की छाल की वस्त्रों के रूप में प्रयोग करता था। यहाँ तक कि ग्रन्थ आदि लिखने के लिए जिस सामग्री का प्रयोग किया जाता था। वे भोज–पत्र अर्थात विशेष वृक्षों के पत्ते ही थे। वृक्ष वातावरण को शुद्ध व स्वच्छ बनाते है। इनकी जड़ें भूमि के कटाव को रोकती है। वृक्षों के पत्ते भूमि पर गिरकर सड़ जाते हैं। तथा ये मिट्टी में मिलकर खाद बन जाते है। और भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते है। मानव सभ्यता के विकास के साथ जब मानव ने गुफाओं से बाहर निकलकर झोपड़ियों का निर्माण आरंभ किया तो उसमें भी वृक्षों की शाखाएं व पत्ते ही काम आने लगे, आज भी जब कुर्सी, मेज, सोफा, सेट, रेक, आदि का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। 

यह भी मुख्यतः लकड़ी से ही बनाए जाते हैं। अनेक प्रकार के फल-फूल और औषधियों भी वृक्षों से ही प्राप्त होती है। वर्षा जिससे हमें जल व पेय जल प्राप्त होते हैं वह भी प्राय वृक्षों के अधिक होने पर ही निर्भर करती है। इसके विपरीत यदि हम वृक्ष-शून्य की स्थिति की कल्पना करें तो उस स्थिति में मानव तो क्या समुची जीव सृष्टि की दशा ही बिगड़ जाएगी। इस स्थिति से बचने के लिए वृक्षारोपण करना अत्यंत आवश्यक है। आजकल नगरों तथा महानगरों में छोटे-बड़े उद्योग–धंधों की बाढ़ से आती जा रही है। इनसे धुआं, तरह-तरह के विषैली गैसें आदि निकलकर वायुमंडल में फेल कर हमारे पर्यावरण में भर जाती है। 

पेड़ पौधे इन विषैली गैसों को वायुमंडल में फैलने से रोक कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकते हैं। यदि हम चाहते हैं कि हमारी यह धरती प्रदूषण रहित रहे तथा इस पर निवास करने वाला मानव सुखी व स्वस्थ बना रहे तो हमें पेड़-पौधों की रक्षा तथा उनके नवरोपण की ओर ध्यान देना चाहिए। 

वृक्षारोपण पर निबंध 800 शब्दों में। 

प्रस्तावना:- हमारे देश भारत की संस्कृति एवं सभ्यता वनों में ही पल्लवित तथा विकसित हुई है यह एक तरह से मानव का जीवन सहचर है वृक्षारोपण से प्रकृति का संतुलन बना रहता है वृक्ष अगर ना हो तो सरोवर (नदियां ) में ना ही जल से भरी रहेंगी और ना ही सरिता ही कल कल ध्वनि से प्रभावित होंगी वृक्षों की जड़ों से वर्षा ऋतु का जल धरती के अंक में पोहचता है, यही जल स्त्रोतों में गमन करके हमें अपर जल राशि प्रदान करता है वृक्षारोपण मानव समाज का सांस्कृतिक दायित्व भी है, क्योंकि वृक्षारोपण हमारे जीवन को सुखी संतुलित बनाए रखता है। वृक्षारोपण हमारे जीवन में राहत और सुखचैन प्रदान करता है। “वृक्षारोपण से ही पृथ्वी पर सुखचैन है इसे लगाओ जीवन का एक महत्वपूर्ण संदेश है.” संस्कृति और वृक्षारोपण भारत की सभ्यता वनों की गोद मे ही विकासमान हुई है। 

हमारे यहां के ऋषि मुनियों ने इन वृक्ष की छांव में बैठकर ही चिंतन मनन के साथ ही ज्ञान के भंडार को मानव को सौपा है। वैदिक ज्ञान के वैराग्य में, आरण्यक ग्रंथों का विशेष स्थान है वनों की ही गोद में गुरुकुल की स्थापना की गई थी। इन गुरुकुलो में अर्थशास्त्री, दार्शनिक तथा राष्ट्र निर्माण शिक्षा ग्रहण करते थे इन्ही वनों से आचार्य तथा ऋषि मानव के हितों के अनेक तरह की खोजें करते थे ओर यह क्रम चला ही आ रहा है। पशियो चहकना, फूलो का खिलना किसके मन को नहीं भाता है इसलिए वृक्षारोपण हमारी संस्कृती में समाहित है। वृक्षारोपण उपासना हमारे भारत देश में जहां वृक्षारोपण का कार्य होता है वही इन्हें पूजा भी जाता है। कई ऐसे वृक्ष है, जिन्हें हमारे हिंदू धर्म में ईश्वर का निवास स्थान माना जाता है, जैसे नीमका पेड़, पीपल का पेड़, आंवला, बरगद आदी को शास्त्रों के अनुसार पूजनीय कहलाते है और साथ ही धर्म शास्त्रों में सभी तरह से वृक्ष प्रकृति के सभी तत्वों की विवेचना करते हैं। 

जिन वृक्ष की हम पूजा करते है वो औषधीय गुणों का भंडार भी होते हैं, जो हमारी सेहत को बरकरार रखने में मददगार सिद्ध होते है। आदिकाल में वृक्ष से ही मनुष्य की भोजन की पूर्ति होती थी, वृक्ष के आसपास रहने से जीवन में मानसिक संतुलन ओर संतुष्टि मिलती है गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं। ” मूलतः ब्रह्मा रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिनः अग्रतः शिव रूपाय अश्वव्याय नमो नमः.” अर्थात इसके मूल रूप में ब्रह्मा मध्य में विष्णु ओर अग्र भाग में शिव का वास होता है, इसी कारण अश्व्यय नामधारी वृक्ष को नमन किया जाता है। वनों से लाभ वनों से हमे भवन निर्माण की सामग्री मिलती है औषधीय, जड़ी बूटियां, गोंद, घास, तथा जानवरों का चारा भी वनों से ही प्राप्त होता है।वन तापमान को सामान्य बनाने में सहायक एवं भूमि को बंजर होने से रोकता है वनों से लकड़ी, कागज, फर्नीचर, दवाईया, सभी के लिए हम वनों पर ही निर्भर है। 

वन हमे दूषित वायु को ग्रहण करके शुद्ध एवं जीवन दायक वायु प्रदान करता है, जितनी वायु और जल जरूरी है उतना ही आवश्यक वृक्ष होते हैं इसलिए वनों के साथ ही वृक्षारोपण सभी जगह करना जरूरी है और कई तरह के लाभ देने वाले वनों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य। वनों के कटने से कई तरह की हानियां आज मानव अपनी भौतिक प्रगति की तरफ आतूर है वह अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए बेधड़क वृक्षों की कटाई कर रहा है ओधोगिक प्रतिस्पर्धा और जनसंख्या के चलते बनो का क्षेत्रफल प्रतिदिन घटता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार एक करोड़ हेक्टेयर इलाके के वन काटे जाते हैं, अकेले भारत में ही 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले बनो को काटा जा रहा है, वृक्ष के कटने से पक्षियों का चहचहाना भी कम होता जा रहा है, पक्षी प्राकृतिक संतुलन स्थिर रखने में प्रमुख कारक है, परंतु वृक्षों की कटाई से तो वो भी अब कम ही दिखने लगे हैं, अगर इसी तरह से वृक्ष की कटाई होती रही तो इसके अस्तित्व पर ही एक प्रश्न चिन्ह लग जाएगा।

 वृक्षारोपण कार्यक्रम हमारे देश भारत में वृक्षारोपण के लिए कई संस्थाएं, पंचायती राज संस्थाएं, राज्य वन विभाग, पंजीकृत संस्था, कई समितिया ये सब वृक्षारोपण के कार्य कराती हैं कुछ संस्थाओं तो वृक्ष को गोद लेने की परंपरा कायम कर रही है, शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी वृक्षारोपण को भी स्थान दिया गया है, पेड़ लगाने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए आज हमें ए.के. जोन्स की तरह ही वृक्षारोपण का संकल्प लेने की आवश्यकता है। 

उपसंहार: आज हमारे देशवासी वनों तथा वृक्षों की महत्ता को एक स्वर से स्वीकार कर रहे हैं वन महोत्सव हमारे राष्ट्र की अनिवार्य आवश्यकता है, देश की समृद्धि में हमारे वृक्ष का भी महत्वपूर्ण योगदान है इसलिए इस राष्ट के हर नागरिक को अपने लिए और अपने राष्ट्र के लिए वृक्षारोपण करना बहुत जरूरी है।

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