बिना पटाखों और प्रदूषण मुक्त दिवाली पर निबंध व लेख | Pollution free Diwali in hindi essay or paragraph.

बिना पटाखों और प्रदूषण मुक्त दिवाली पर निबंध व लेख | Pollution free Diwali in hindi essay or paragraph.

 

बिना पटाखों और प्रदूषण मुक्त दिवाली पर निबंध व लेख | Pollution free Diwali in hindi essay or paragraph.

भारत में कई प्रकार के त्यौहार मनाये जाते है , लेकिन दीपावली की बात ही कुछ और है। दीपावली उत्सव के  दियो के रोशन से चमकती हुयी प्रकाश , सभी के ज़िन्दगी में उजाला भर दे। प्रत्येक शाल दिवाली में अत्यधिक पटाखे चलाये जाते है , जिससे प्रदूषण अपने चरम सीमा पर पहुँच जाता है। सुप्रीम कोर्ट हर बार पटाखों के खरीद पर रोक लगाते है , लेकिन फिर भी लोग अपनी ख़ुशी के लिए पटाखे फोड़ते है।  इसकी वजह से प्रदूषण बढ़ता है।  कभी कभी पटाखे जलाना , दुर्घटना का रूप ले सकता है। पटाखे जलाकर व्यक्ति कई प्रकार के दुर्घटनाओं को निमंत्रण देता है , ऐसी दुर्घटनाओं के कारण बहुत से लोग अपनी जान गवा बैठते है।   क्यों ना हम ऐसी दिवाली मनाये जिसमे प्रदूषण का नामो निशान ना हो।


दीपावली में सबकुछ प्रदूषण मुक्त होना चाहिए. न धुंआ जनित प्रदूषण न आवाज का प्रदूषण न शारीरिक प्रदूषण न मानसिक प्रदूषण अर्थात हर तरह से साफ सफाई पूर्ण होना चाहिए. इस पर्व को सही मायने में मानना है तो प्रदूषण मुक्त दीपावली मनना होगा. यह खुशियों का त्यौहार है. न की प्रदूषण फैलाकर दुखी करने का.



 वायु प्रदूषण

पटाखों चलाने से दिवाली की सादगी भरी खूबसूरती नष्ट हो जाती है। दीपावली उत्सव के दिन भारी मात्रा में वायु प्रदूषण को प्रत्येक वर्ष देखा जाता है।  पूरा आसमान पटाखो से निकलने वाले जहरीली गैस से भर जाता है और  पूरे वातावरण को प्रदूषित कर देता  है। जिसके कारण लोगो को साँस लेने में तकलीफ होती है और आँखों में तेज़ जलन होती है । पटाखे जलाने का प्रभाव दीपावली के कई दिनों तक जारी रहता है। इसके बुरे प्रभाव के चलते लोगो को कई प्रकार के रोग हो सकते है , खासकर फेफड़े संबंधी परेशानियाँ देखने को मिलती है। 



भूमि प्रदूषण

पटाखों के अवशेष टुकड़े जमीन में गढ़ जाते है , जिसके कारण भूमि प्रदूषण जैसी समस्याएँ उतपन्न होती है।लोग बिना सोच समझे पटाखे जलाने के बाद यहाँ वहाँ फेक देते है।  यह पटाखों के टुकड़े बायो डेग्रेडेबल नहीं है , यानी जमीन में मिलते नहीं है , और वैसे ही बने रहते है। वक़्त के साथ यह और ज़्यादा नुकसानदेह साबित होता है। इससे भूमि प्रदूषित होता  है। अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण दिवाली के समय निरंतर पटाखो की आवाज़ से ध्वनि प्रदूषण होता है।  जिससे मनुष्य और जीव -जंतुओं दोनों को  अत्यधिक परेशानी होती है। इससे कई    प्रकार की गंभीर समस्याएँ पैदा हो सकती   है।  पटाखों की अचानक तेज़ आवाज़ सुनने से बच्चे भयभीत हो जाते है। पटाखों के कारण ज़ोरदार धमाका होता है , जिससे पशु पक्षी घबरा जाते है और कई बार उनके सुनने की क्षमता भी चली जाती है।  व्यस्क लोग  ध्वनि प्रदूषण से असहज महसूस करते है। हमे दिवाली ऐसे मनानी चाहिए जिससे पर्यावरण को नुकसान ना पहुँचे।


आजकल लोग एक दूसरे को इको फ्रेंडली दिवाली कहकर विश करते है। इको फ्रेंडली दिवाली यानी जो पर्यावरण के अनुकूल हो।  दिवाली एक  ऐसा त्यौहार है , जिसमे हम अपने परिजनों के संग   मनाते है। अगर हम हम अपने हज़ारो रूपए दिवाली के पटाखों के पीछे खर्च ना करके , बेसहारा और ज़रूरतमंदो की सहायता में लगाए , तब हमारी दीपावाली शुभ और अत्यधिक खुशियों से भर जायेगी। ज़रूरत मंद लोगो को कपड़े और मिठाईयाँ उपहार में दे। अनाथ आश्रम जाकर बच्चो को ज़रूरी चीज़ें उपहार के तौर पर दे और उनके साथ वक़्त बिताये।  आप अपने घरो को रोशन करने के लिए मिटटी के दिए जलाये।  मिटटी के दियो को आप घर पर पेंट कर सकते है और सजावट की  चीज़ो से सजा सकते है। घरो में बैठकर आप चाहे तो अनोखे , सुन्दर रोशनदान बना सकते है , घरो को सजा सकते है। 



दिवाली के दिन पूरे घर को दिए की रोशनी से भर दे ताकि जिंदगी की अंधकार रूपी परेशानियाँ  समाप्त हो जाए। ज़्यादातर लोग सजावट के लिए  इलेक्ट्रॉनिक्स लाइटों का  इस्तेमाल करते है , इससे बिजली का उपयोग ज़्यादा होता है।  इसके जगह पर हम LED  लाइट का इस्तेमाल कर सकते है। दिवाली के दो दिन की छुट्टी में आप और आपके रिश्तेदार  पर्यावरण के सैर के लिए जा सकते है। उसके बाद घर आकर आप खुद चीनी , मेवा , बेसन , सूजी जैसे सामग्रियों का उपयोग करके , विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ बना सकते है।  अक्सर बाजार में रंगीन मिठाईयों में मिलावट देखी जा सकती है। इससे बचने के लिए घर बैठे  आप मिटाई बनाये और आस पड़ोस के लोगो को खिलाएँ। दिवाली में घर की सामग्रियों  और बगीचे के फूलों का उपयोग करके  हम सब मिलकर रंगोली बना सकते है। हम आर्ट एंड क्राफ्ट सामग्रियों का उपयोग करके भी विचित्र और अनोखे सजावट कर सकते है। आप पटाखे जलाये बिना अपनों के साथ इस दिवाली को प्यार से मना सकते है। आप मेहमानो को मिठाईयाँ देने के लिए प्लास्टिक और पेपर प्लेट के बजाये केले के पत्ते का उपयोग करे।  क्यों की केले के पत्ते बायो डेग्रेडेबल होता है , इससे भूमि प्रदूषण नहीं होता है। आप विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर सकते है और दिवाली के उत्सव को रंगीन बना सकते है।



दिवाली पर कार्ड्स बाजार से ना खरीदकर , हम खुद कार्ड बना सकते है। अगर आप अच्छी चित्रकारी करते है , तो आप  अपने रिश्तेदारों को दिवाली की शुभकामनाये देने चाहते है , तब अपने हाथों से कार्ड का निर्माण करे।   हाथों से बने कार्ड की बात ही कुछ और होती है। निष्कर्ष दीपावली के शुभ अवसर को मनाने के लिए पटाखे जलाने की ज़रूरत नहीं है।  इससे पृथ्वी पर समस्याएँ बढ़ती है। वायु को दूषित करके मनुष्य और जीव जंतु का जीवन समस्याओं के चपेट में आ जाएगा। मनुष्य पटाखों के विषय में जानकर भी यह विनाश कर रहे है। लोगो में जागरूकता फैलाना आवश्यक है।  पर्यावरण अनुकूलित दिवाली आपके उत्सव को बेहतर बनाती है। पटाखों को जलाकर कुछ समय के आनंद के लिए हम बहुत बड़े और भयानक  प्रदूषण को आमंत्रण दे बैठते है।

बिना पटाखों और प्रदूषण मुक्त दिवाली पर निबंध व लेख | Pollution free Diwali in hindi essay or paragraph. बिना पटाखों और प्रदूषण मुक्त दिवाली पर निबंध व लेख | Pollution free Diwali in hindi essay or paragraph. Reviewed by The IK Series on Sunday, September 19, 2021 Rating: 5

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